“मधुबन खुशबू देता है, सागर सावन देता है” की स्वरलहरियों में गूंजा रायपुर
सेवा, संस्कृति और संबंधों का अद्भुत संगम बना यह प्रेरणादायक आयोजन

चौपाल न्यूज इन, रायपुर, छत्तीसगढ़
स्थान: वृंदावन हॉल, रायपुर | 📅 तारीख: 05 जुलाई 2025http://Chaupal new in
“मां आनंदिनी फाउंडेशन” द्वारा पारिवारिक मूल्यों व सांस्कृतिक चेतना को समर्पित भव्य संगीतिक कार्यक्रम
“मधुबन खुशबू देता है, सागर सावन देता है” की मधुर लहरियों में बही रायपुर नगरी
सेवा, संस्कृति और संबंधों के अद्भुत संगम की प्रेरणादायक प्रस्तुति
वर्तमान समय की सामाजिक चुनौतियों के बीच “मां आनंदिनी फाउंडेशन” ने परिवार सेवा, सांस्कृतिक संरक्षण और सामूहिक सद्भावना को पुनर्जीवित करने हेतु एक प्रभावशाली संगीतिक कार्यक्रम का आयोजन किया। यह आयोजन रायपुर स्थित वृंदावन हॉल में दिनांक 5 जुलाई को संपन्न हुआ।








कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन एवं मां सरस्वती की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। एंकर श्वेता विजय चौरे के भावपूर्ण संचालन में मंच पर एक से बढ़कर एक संगीतमय प्रस्तुतियां दी गईं, जिन्होंने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
प्रमुख प्रस्तुतियां रही आकर्षण का केंद्र:
- एश्वर्या मिश्रा: “मधुबन खुशबू देता है, सागर सावन देता है”
- लता सिंह: “ऐ दिल मुझे बता दे”
- साक्षी बजाज: “किस लिए मैंने प्यार किया”
- काजल अग्रवाल: “होश वालों को खबर क्या”
- मंजू शर्मा: “आइए मेहरबान बैठिए जाने जा”
- शिखा गोलछा: “पत्थर के सनम”
- दिया मूलचंदानी: “रहे न रहे हम”, “लाबी जुदाई”
- मीनाक्षी केसरवानी: “चलो सजना जहां तक घटा चले”
- मोहिनी मालवार: “बड़ा नटखट है कृष्ण कन्हैया”
- आसिया सोनू: “कौन दिशा में चला”, “चांदी सा चमकता”
हर गीत में न केवल भावनात्मक गहराई थी, बल्कि उसमें सेवा, प्रेम, एकता और संस्कृति की झलक भी स्पष्ट थी। श्रोताओं की तालियों और सराहना ने इस कार्यक्रम को अविस्मरणीय बना दिया।
मूल उद्देश्य जो समाज को नई दिशा देते हैं:
🔸 वरिष्ठ नागरिकों की सेवा और सम्मान
🔸 महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना
🔸 बच्चों में नैतिक और पारिवारिक संस्कारों का विकास
🔸 पारिवारिक एकता और सांस्कृतिक परंपराओं को सहेजना
🔸 जरूरतमंद परिवारों की सहायता और मार्गदर्शन
मां नंदिनी जी (संस्थापिका) ने अपने संबोधन में कहा:
“हमारा प्रयास है कि परिवार मजबूत हों, क्योंकि मजबूत परिवार ही मजबूत समाज और सशक्त राष्ट्र की नींव हैं। सेवा ही संबंधों का आधार है, और संबंधों से ही समाज बनता है।”
कार्यक्रम के समापन पर “परिवार से परिवर्तन की मशाल” जलाने का संकल्प लिया गया और समाज के हर वर्ग से “मां आनंदिनी फाउंडेशन” की सेवायात्रा में सहभागी बनने का आह्वान किया गया।