
“बुजुर्गों की चौपाल” सामाजिक युवा संस्था के संस्थापक अध्यक्ष प्रशांत पाण्डेय जी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का स्वागत किया
नई दिल्ली, 5 जनवरी 2025:
सुप्रीम कोर्ट द्वारा हाल ही में दिए गए एक ऐतिहासिक फैसले में यह कहा गया कि यदि बच्चे अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने में असमर्थ रहते हैं, तो माता-पिता के द्वारा बच्चों को दी गई संपत्ति को वापस लिया जा सकता है। इस फैसले का “बुजुर्गों की चौपाल” सामाजिक युवा संस्था के संस्थापक अध्यक्ष प्रशांत पाण्डेय जी ने स्वागत किया है। उन्होंने इसे बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
सुप्रीम कोर्ट का निर्णय
सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया कि यदि कोई वरिष्ठ नागरिक अपने बच्चों को यह शर्त पर संपत्ति देता है कि वह उनकी देखभाल करेगा, और यदि बच्चा इस शर्त का उल्लंघन करता है, तो वह संपत्ति का हस्तांतरण धोखाधड़ी माना जाएगा। इस फैसले से बुजुर्गों को अपने अधिकारों की रक्षा करने का एक नया रास्ता मिलेगा।
प्रशांत पाण्डेय जी का बयान
प्रशांत पाण्डेय जी ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा, “यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला बुजुर्गों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है। यह निर्णय बुजुर्ग माता-पिता को उनके अधिकारों के प्रति न्याय दिलाने का एक मजबूत आधार प्रस्तुत करता है। अब बच्चों को यह स्पष्ट संदेश मिलेगा कि उनकी जिम्मेदारी केवल संपत्ति प्राप्त करने तक सीमित नहीं है, बल्कि उनके माता-पिता की देखभाल भी उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है। हम इस निर्णय को समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाला मानते हैं और इसे एक ऐतिहासिक कदम मानते हैं।”
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कानूनी दृष्टिकोण
सुप्रीम कोर्ट ने यह कहा कि कानून के उद्देश्यों को पूरा करने के लिए एक उदार दृष्टिकोण अपनाना आवश्यक है। वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण और कल्याण कानून के तहत, यदि कोई बच्चा अपने बुजुर्ग माता-पिता की देखभाल करने में असमर्थ होता है, तो उनकी संपत्ति का हस्तांतरण शून्य घोषित किया जा सकता है और इसे धोखाधड़ी माना जाएगा।
निष्कर्ष
यह सुप्रीम कोर्ट का फैसला बुजुर्गों के अधिकारों की रक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है और बच्चों को माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करेगा। “बुजुर्गों की चौपाल” संस्था इस फैसले को एक सशक्त संदेश मानते हुए इसे समाज में बदलाव लाने के लिए प्रेरणास्त्रोत मानती है।