बीएड धारी युवाओं पर बेरोजगारी का संकट: अंबिकापुर से रायपुर तक न्याय की पदयात्रा

बीएड धारी युवाओं पर बेरोजगारी का संकट: अंबिकापुर से रायपुर तक न्याय की पदयात्रा

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बीएड : न्याय की गुहार: अंबिकापुर से रायपुर तक पदयात्रा

छत्तीसगढ़ के सरगुजा और बस्तर अंचलों के 1200 से अधिक सहायक शिक्षक अपनी सेवाओं की सुरक्षा और रोजगार को लेकर अंबिकापुर से रायपुर तक पदयात्रा कर रहे हैं। यह यात्रा पूरी तरह शांतिपूर्ण है और इन शिक्षकों का उद्देश्य मुख्यमंत्री तक अपनी आवाज पहुंचाना है।

मुख्य समस्या

सरगुजा और बस्तर के सुदूर अंचलों में सेवाएं दे रहे 2855 बीएड योग्यताधारी सहायक शिक्षक, जो पिछले 15 महीनों से निष्ठापूर्वक कार्यरत थे, अब बेरोजगार होने के कगार पर हैं। सुप्रीम कोर्ट ने NCTE 2018 गजट को रद्द कर दिया है और हाईकोर्ट ने डीएड धारकों को प्राथमिकता देने का आदेश दिया है। इससे इन शिक्षकों की सेवाओं पर संकट मंडरा रहा है।

बीएड धारी युवाओं पर बेरोजगारी का संकट: अंबिकापुर से रायपुर तक न्याय की पदयात्रा

मुख्यमंत्री से अपील

इन सहायक शिक्षकों ने मुख्यमंत्री से निवेदन किया है:

“हमारी सेवाओं को सुरक्षित रखने के लिए विधिक और प्रशासनिक कदम उठाएं। हमारी मानसिक स्थिति, आजीविका संकट और सामाजिक प्रतिष्ठा को संज्ञान में लें और न्याय करें।”

शिक्षा विभाग में खाली पदों पर समायोजन की मांग

शिक्षकों का कहना है कि शिक्षा विभाग में हजारों पद रिक्त हैं। सरकार हमारी योग्यता के आधार पर हमें इन रिक्त पदों पर समायोजित कर सकती है। हम बीएड, स्नातक/स्नातकोत्तर, और टीईटी की पात्रता रखते हैं और भर्ती परीक्षा में उच्च अंकों से चयनित हुए हैं।

पूरा मामला

  • परीक्षा और चयन प्रक्रिया: सभी अभ्यर्थी NCTE (2018) के गजट और छत्तीसगढ़ राजपत्र के निर्देशों का पालन करते हुए व्यापम द्वारा आयोजित परीक्षा में शामिल हुए थे।
  • न्यायालय का आदेश: सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षा की गुणवत्ता का हवाला देते हुए NCTE 2018 गजट रद्द कर दिया। हाईकोर्ट बिलासपुर ने दो हफ्ते में डीएड धारकों को नियुक्ति देने का आदेश दिया।
  • शिक्षकों पर असर: इसके चलते 2855 सहायक शिक्षकों पर पदमुक्ति का संकट आ गया है।

सामाजिक और आर्थिक प्रभाव

इन शिक्षकों की बेरोजगारी से न केवल उनके परिवार बल्कि हजारों अन्य लोग प्रभावित होंगे। प्रत्येक शिक्षक के साथ पांच सदस्यों के हिसाब से लगभग 15,000 परिवार इस संकट का सामना कर रहे हैं।

न्याय की तलाश में संघर्ष

पिछले 14 महीनों से इन शिक्षकों ने अपनी बचत खर्च कर न्यायालय में लड़ाई लड़ी है। अब वे सरकार और नीतिनिर्माताओं से अपील कर रहे हैं कि उनकी मेहनत और योग्यता के साथ अन्याय न हो।

Published By: Chaupal News

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