
चौपाल न्यूज इनChaupalnews.in, रायपुर, छत्तीसगढ
केन्द्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह ने छत्तीसगढ़ में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम में घोषणा की कि अधिकारिता के क्षेत्र में अब मातृभाषा में अध्यापन कार्य होगा, जिससे स्थानीय संस्कृति और भाषा को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने इस कदम को देश की विविधता और सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करने की दिशा में एक अहम कदम बताया।
आचार्य विद्यासागर जी के 1008 चरण चिह्नों का लोकार्पण
कार्यक्रम के दौरान, श्री शाह ने आचार्य विद्यासागर जी के 1008 चरण चिह्नों का भी लोकार्पण किया। ये चरण चिह्न आचार्य जी के त्याग, तपस्या और संयम के जीवन का प्रतीक हैं, जो भारतीय समाज को जीवन के सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देंगे।

भारत की संत परंपरा और आचार्य विद्यासागर जी का योगदान
श्री शाह ने भारत की संत परंपरा को समृद्ध बताते हुए कहा कि संतों ने हमेशा ज्ञान, एकता और राष्ट्र चेतना का सृजन किया है। उन्होंने आचार्य विद्यासागर जी का उल्लेख करते हुए कहा कि उन्होंने भारतीयता और संस्कृति को अपने जीवन का हिस्सा बनाए रखा और हमेशा भारत की सांस्कृतिक विविधता को प्रोत्साहित किया।
‘मूकमाटी’ महाकाव्य और उसकी गहरी शिक्षाएं
आचार्य विद्यासागर जी द्वारा रचित ‘मूकमाटी’ महाकाव्य का जिक्र करते हुए श्री अमित शाह ने बताया कि इस ग्रंथ में धर्म, दर्शन, नीति, अध्यात्म और राष्ट्र प्रेम का संदेश दिया गया है। इस महाकाव्य में शरीर की क्षणभंगुरता और राष्ट्र के प्रति प्रेम का गहरा संदेश मिलता है। आचार्य जी के इस योगदान को उन्होंने अनमोल धरोहर करार दिया और कहा कि यह पूरी राष्ट्र के लिए एक प्रेरणा है।
संस्कृति और भाषाई विविधता का महत्व
श्री अमित शाह ने यह भी कहा कि आचार्य विद्यासागर जी का मानना था कि भारत की भाषाई विविधता ही उसकी ताकत है। विभिन्न भाषाओं, लिपियों और बोलियों में समृद्ध भारत को सांस्कृतिक दृष्टि से अत्यधिक समृद्ध देश माना जाता है।
इस प्रकार, श्री शाह ने आचार्य विद्यासागर जी के जीवन और शिक्षाओं को राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित किया और उनके योगदान को सराहा।