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चौपाल न्यूज इन | रायपुर, छत्तीसगढ़ | 17 मई 2025
मुख्य बिंदु (Highlights):
- छत्तीसगढ़ संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित 15 दिवसीय ‘आकार’ कार्यशाला की भव्य शुरुआत
- अंतरराष्ट्रीय लोकगायिका रेखा जलक्षत्रिय के निर्देशन में भरथरी लोकगाथा की विधिवत शिक्षा
- युवा गायक प्रांजल सिंह राजपूत बने भरथरी विधा के पहले प्रशिक्षित पुरुष कलाकार
- प्रतिभागियों में खिलेश्वरी यदु, हिमानी वासनी, रेनू, मंजू साहू सहित अनेक कलाकार
- छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को संरक्षित व संवर्धित करने का महत्वपूर्ण प्रयास

रायपुर में लोकगाथा ‘भरथरी’ की सांस्कृतिक गूंज
छत्तीसगढ़ की अमूल्य लोकसंस्कृति को संरक्षित करने के लिए संस्कृति विभाग, छत्तीसगढ़ सरकार के तत्वावधान में रायपुर में आयोजित 15 दिवसीय ‘आकार’ कार्यशाला का शुभारंभ किया गया है। यह कार्यशाला पारंपरिक लोकगाथाओं और लोककला की विविध विधाओं को बचाने और नई पीढ़ी तक पहुँचाने का एक विशेष प्रयास है।
कार्यशाला में छत्तीसगढ़ की अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लोकगायिका रेखा जलक्षत्रिय अपने अनुभव और ज्ञान से प्रतिभागियों को लोकगाथा भरथरी के गायन, अभिनय और भावनात्मक प्रस्तुति की बारीकियाँ सिखा रही हैं।
भरथरी लोकगाथा में युवा पुरुष की नई शुरुआत
इस कार्यशाला की सबसे बड़ी ख़ासियत यह रही कि पहली बार इस पारंपरिक लोकगाथा विधा में एक युवा पुरुष कलाकार प्रांजल सिंह राजपूत को प्रशिक्षित किया जा रहा है। यह पहल भरथरी की परंपरा को नए आयाम देने के साथ-साथ इस कला में पुरुष कलाकारों की भागीदारी बढ़ाने का भी संदेश देती है।

प्रतिभागियों से विशेष चर्चा
कार्यशाला के दौरान चौपाल न्यूज ने कुछ प्रतिभागियों से उनकी अनुभूतियाँ साझा कीं:
- प्रांजल सिंह राजपूत ने कहा: “भरथरी केवल एक गायन विधा नहीं, यह हमारी आत्मा की आवाज़ है। इसे सीखना और आगे बढ़ाना मेरे लिए गर्व की बात है।“
- हिमानी वासनी ने व्यक्त किया: “इस कार्यशाला ने मुझे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से जुड़ने का सुनहरा अवसर दिया है।“

- खिलेश्वरी यदु ने साझा किया: “रेखा जलक्षत्रिय जी से सीखना मेरे लिए एक प्रेरणादायक अनुभव है। मैं इस लोकगाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाने के लिए पूरी मेहनत करूंगी।“
कार्यशाला के प्रमुख प्रतिभागी
इस सांस्कृतिक पहल में शामिल कलाकारों में प्रमुख हैं:
- प्रांजल सिंह राजपूत
- खिलेश्वरी यदु
- हिमानी वासनी
- रेनू
- मंजू साहू
और भी अनेक प्रतिभागी इस कार्यशाला का हिस्सा हैं, जो छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति को जीवित रखने की दिशा में योगदान दे रहे हैं।
संस्कृति संरक्षण और संवर्धन की पहल
‘आकार’ कार्यशाला में भरथरी लोकगाथा के साथ-साथ लोकनृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्र, वेशभूषा और मंच सज्जा के प्रशिक्षण भी शामिल हैं। यह कार्यशाला छत्तीसगढ़ की सांस्कृतिक विरासत को नए स्वरूप में संरक्षित करते हुए युवाओं तक पहुँचाने का महत्वपूर्ण माध्यम बन रही है।
चौपाल न्यूज इन का संदेश
चौपाल न्यूज इन रायपुर छत्तीसगढ़ छत्तीसगढ़ की लोकसंस्कृति और ग्राम्य जीवन से जुड़े आयोजनों, कलाकारों और सांस्कृतिक प्रयासों को उजागर करने के लिए प्रतिबद्ध है। हम अपने माध्यम से ऐसे सांस्कृतिक आयोजनों को व्यापक जनमानस तक पहुंचाने का प्रयास निरंतर करते रहेंगे।

प्रधान संपादक सुरेन्द्र यादव चौपाल न्यूज इन रायपुर छत्तीसगढ़