
सांकरदाहरा: छत्तीसगढ़ का दूसरा राजिम
छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के डोंगरगांव विकासखंड में स्थित सांकरदाहरा, न केवल एक धार्मिक स्थल के रूप में बल्कि अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए भी तेजी से प्रसिद्ध हो रहा है। यह स्थान शिवनाथ, डालाकस और कुर्रूनाला नदियों के संगम पर स्थित है, और इसे अब “छत्तीसगढ़ का दूसरा राजिम” कहा जाने लगा है। यहाँ की प्रमुख विशेषता इसकी धार्मिकता और प्राकृतिक सौंदर्य है।
सांकरदाहरा में तीन नदियाँ मिलती हैं, जिनका संगम एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करता है। यहाँ स्थित शिवनाथ नदी के संगम पर बने मंदिर और भगवान शंकर की 32 फीट ऊंची मूर्ति श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं। इसके अलावा, हर वर्ष महाशिवरात्रि के दौरान तीन दिवसीय भव्य मेला लगता है, जिसमें श्रद्धालु अपने धार्मिक कर्तव्यों का पालन करते हैं।

सांकरदाहरा के नामकरण से जुड़ी लोक कथाएँ भी इस स्थल को रहस्यमय बनाती हैं। एक प्रसिद्ध घटना के अनुसार, एक गर्भवती महिला को शतबहनी देवी की कृपा से बाढ़ से बचाया गया था, और उसके बाद उस महिला ने संकरु नामक बेटे को जन्म दिया।
सांकरदाहरा को न केवल धार्मिक स्थल के रूप में बल्कि पर्यटन स्थल के रूप में भी विकसित किया जा रहा है। यहाँ किए गए विकास कार्यों में धार्मिक आयोजनों के लिए भवनों का निर्माण और जलभराव के लिए एनीकट का निर्माण शामिल है, जिससे यहाँ आने वाले श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएँ मिलती हैं।
यह स्थल छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के श्रद्धालुओं के बीच एक प्रमुख धार्मिक और पर्यटन स्थल बन चुका है, जो स्थानीय संस्कृति और परंपराओं को संरक्षित करने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है।